नशे के जद में आज के युवा पीढ़ी, नही समझते हैं किसी की बात परिवारजनों की हालत होती है खराब,, सामाजिक चिंता का विषय
सामाचार की दुनिया
कोरबा_आज के युवा नशे के जद में समा गए हैं। इन्हें अपने माता पिता भाई बहन और सगा संबंधी से कोई मतलब नहीं है, इन्हें तो सिर्फ अपनी सौंक पूरी करनी है। लेकिन कहते हैं न की नशा विनाश की जड़ है। जो धीरे धीरे शरीर को खोखला कर देती है। आज के युवा को समझाने की कोशिश की जाती है तो उल्टे जवाब देते हैं, और कहते हैं कि हमें मौज करनी है। जो करनी है आप कीजिए। अगर यही नशा शरीर को घर कर जाती है तो पूरा जीवन बर्बाद हो जाती है, जिसका खामियाजा परिवारजनों को भुगतना पड़ता है। और इलाज के दौरान घर की सारी पूंजी खत्म हो जाती। हमारे कोरबा जिले में बहुत सारे सामाजिक संस्था है जो नशे खिलाफ़ दूर रहने की हिदायत देते हैं। लेकिन इन लोगों के लाख समझाइस के बावजूद भी इन्हें कोई फ़र्क नहीं पड़ता है। अब हाल ऐसे हों गए हैं कि नशा ही नशा की दवा हैं, जो गम मिटाने के लिए, खुशी के लिए यहां तक कि घर में मातम छाने पर भी नशा की जाती है। नशे के जद में अक्सर गरीब लोग ज्यादा पड़ते हैं, जो संगति के नशे में अपना आपा खो बैठते हैं। लोग नशे में इस कदर चूर हो जाते है कि घर की संपत्तियों को बेच देते और पत्नि बच्चों को रोड पर ला खड़ा कर देते हैं, जिसका खामियाजा सदा दिन पारिवारिक जनों को भुगतना पड़ता है।